यादें.....

कभी कुछ बीते लम्हों के, तो

कभी कुछ आज से जुड़े इरादे होते हैं

वक्त के तरासे नहीं, 

वो यादों के पैमाने होते है।। 

कभी ख़ुद को निराशा की थपकी देना, 

तो कभी मुस्कुराहट में झपकी लेना। 

वो सूर्य की पहली किरण का आना

फिर सुकून से देर तक बातों में उलझना।। 

पीछे देखकर यूँ ख्यालों के भवंडर में खोना

नज़र सामने होकर भी फ़िर से उसे वजह की खोज में भेजना, 

कितना अलग आभास होता है, वो

बात यादों की होती है, 

कहने की उत्सुकता लफ्जों में होती है

लेकिन आँखों को फिर से समंदर बनने की होड़ रहती है।। 

याद किसी एक से कहाँ जुड़ी होती है, 

वो तो सफ़र में थामे हाथों की सौगात होती है। 

ना समय का पहिया रूकता है, 

ना मन में विचारों की हलचल का दरिया, 

शोर भी अपने उफान पर होता है। 

पर यादों का सिलसिला भला कहाँ ठहरता है।। 

वो ख़ुद से किए पर वक्त के साथ निभाए वादे हैं। 

वो अतीत में जन्में कुछ पल के ही नज़ारे हैं

गुमसुम से बैठकर किसी कोने में, 

ख़ुद से बातों का संसार बनाए बैठे हैं। 

कभी बेवजह मुस्कुराना

तो कभी बेवजह समन्दर में गोता लगाना

अहसास कोई भी, 

यही सब तो है,

जिन्हें हम यादें कहकर थोड़ा आगे बढ़ जाते हैं।।

वादे, जिन्हें हम शायद ही निभा पाते हैं।

यादें, जिन्हें हम शायद ही भूल पाते हैं।। 


 ~voice of soul~


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