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A Letter to Myself

आज तुमसे तुम्हारी ही बात करने चली हूँ,  इस छोटे से जहाँ में नए सपने बुनने चली हूँ।  ख्वाहिशें नहीं है ज्यादा इस भीड़ में तुम्हारी,  बस एक मंजिल है... जानती हूँ...  जिसे पाने के लिए तुम अपना अतीत छोड़ चुकी हो।।  ___*___*___*___*___*____*___*___*___*___*___*____ खुशियाँ बहुत है शहर में तुम्हारे,  लोग बहुत है साथ तुम्हारे कुछ रहते शाम तक हैं कुछ निभाते हर पड़ाव तक है।।  ___*___*___*___*___*____*___*___*___*___*___*____ तुम्हें अक्सर सुनाई पड़ती हर रोज एक आवाज़,  जो गूंज कर देती तुम्हें सुकून सा अंदाज।  वो कोई पक्षी नहीं जो मधुर आलाप लेता है,  पर भीड़ का शोर है जो सवालों में तुम्हारी जगह ढूँढ लेता है।  तुम्हें याद दिलाता है कमी रह गई तुममें कहीं मुस्कुराती हो तुम जब वो शोर कुछ गुमशुम सा बैठने लगता है,  और सुकून आँखों से बहने लगता है।।  ___*___*___*___*___*____*___*___*___*___*___*____ बहुत कहानी है किताबों में तेरी,  हर लम्हा पलटता कुछ ऐसा है,  गूंज उसमें छिपे अहसास की होती है अक्सर हलचल पूरी किताब में रहती है।  ___*___*___*___*___*____*___*___*___*___*___*____ नहीं परवाह तुम्हें उन अल्फाज