वो कुछ ख़ास है।
जिंदगी एक मिली पर खुशियाँ लाख देता, दोस्त सब बने पर वो सच्ची यारी निभाता। सब कहते रह जाते हम सच्चे है, पर सच्चाई से वो हर रोज़ मुझे मिलाता। वो राहें उदास है कुछ बंजर जमीन-सी, शायद उन्हें भी आदत है, हमें साथ खिल-खिलाते देखने की। मेरी बातें अभी भी बहुत लम्बी रहती है, पर अब शब्दों से दोस्ती कहीं बह-सी गई है। अंजान-सा मेहमान जब लिया जन्म इस जहान, कभी सोचा न था उस जैसा होगा मेरा भगवान सभी रिश्ते-नाते खूब मानती हूँ, पर उसके लफ़्जो के आगे सब अधूरा-सा लगता है। दुनिया कुछ कहे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता, पर उसके शब्दों की गघराई में, मुझे हर पल गोता लगाने को मन करता। आदत है न, साथ लड़ने की, हँसने की शायद, तभी अब घड़ी का शोर बढ़ गया है। माँ-सा प्यार, पिता-सी हिम्मत देता है। वो मेरी छोटी सी दुनिया में सबसे पहले आता है। मुझे क्या जरूरत किसी अंजान की वो जान है इस बेजूबान की। आश मेरे टूटे सपनों की, प्यास मेरे कुछ गुमसुम से लम्हों की। वो सभी रिश्तों में सबसे अलग-सा अहसास है, एक धागे के डो...
Amazingggg. Loved it. Keeping Going
ReplyDeleteThanks:) :)
DeleteNatural words
ReplyDeleteFab to know😁
DeleteMeaningful , well done 👏
ReplyDeletemeaning full poetry ,well done dear.
ReplyDeleteThanks a much ❤
Deletenice try ,you can even improve morevery fascinating .god bless you
ReplyDeleteThank you for the appreciation & suggestion as well♥
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