वो तारा था, टूट गया।
जिस आभा की मुझे हमेशा तलाश थी, मिली देर से, क्योंकि मन में एक आश थी, शाम हुई बैठी खुले आसमां की छाँव में, नज़र हर ओर की, पर ठहरी सिर्फ तारों के जहां में वहाँ सभी खुश नज़र आए इन आँखों को, छोटी ही मगर उनकी मुस्कुराहट सच्ची थी। नहीं चाहा टूटे काँच कोई बीते लम्हों का मेरा, न ख्वाहिश में लिखा कभी की टूटे दिल मेरा। मगर टूटते तारे को देखना तो, मानो जैसे मेरा ख़्वाब-सा था, पूरी हुई दुआ मेरी जब पूरब में उसे देखा। चुप्पी तोड़कर उलझनों से सारी वो कुछ आगे बढ़ते दिखा। मैंने अहसास किया उसका बादलों को छोड़कर गुजरना और मेरे सुकून का मेरी रूह में उतरना। कहती है दुनिया वैसे तो वो टूटता है पर तुम्हारी इच्छाओं को समेटता है, उन्हें पूरा करने की क्षमता रखता है। नादान और फिजूल-सी लगी जब कानों में दस्तक दी थी इन बातों ने। मगर जब वो टूट रहा था; तो न जाने क्यों ? वो नादानी करने का सोचा इस मन ने, उसकी भेंट क्षितिज पर होने को ही थी, कि मैंने थाम लिया दोनों हाथों को अपने। देख कर आँखों में उसकी, बोल बैठी ख्वाहिशें अपनी। जब तक ना पहुँचा गंतव्य तक अपने, दोहराती रही बार-बार जो देखे सपने।
Jai hind 🇮🇳
ReplyDelete🧡🤍💚
Delete🇮🇳🇮🇳🇮🇳 nice dud
DeleteThanks🧡🤍💚
Deleteकिसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया है
ReplyDeleteअपनी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया है
उसे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,
जोअपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया है
हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया,
वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया है
''जय हिन्द''
Nice lines
🧡🤍💚
DeleteJai Hind 🙏🇮🇳🇮🇳
ReplyDelete🧡🤍💚
DeleteThanks:)
ReplyDeleteInspiring poem
ReplyDeleteThank you🙏😌
Deleteजय हिन्द
ReplyDelete🌼🇮🇳
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