A Letter to Myself

आज तुमसे तुम्हारी ही बात करने चली हूँ, 

इस छोटे से जहाँ में नए सपने बुनने चली हूँ। 

ख्वाहिशें नहीं है ज्यादा इस भीड़ में तुम्हारी, 

बस एक मंजिल है... जानती हूँ... 

जिसे पाने के लिए तुम अपना अतीत छोड़ चुकी हो।। 

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खुशियाँ बहुत है शहर में तुम्हारे, 

लोग बहुत है साथ तुम्हारे

कुछ रहते शाम तक हैं

कुछ निभाते हर पड़ाव तक है।। 

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तुम्हें अक्सर सुनाई पड़ती हर रोज एक आवाज़, 

जो गूंज कर देती तुम्हें सुकून सा अंदाज। 

वो कोई पक्षी नहीं जो मधुर आलाप लेता है, 

पर भीड़ का शोर है जो सवालों में तुम्हारी जगह ढूँढ लेता है। 

तुम्हें याद दिलाता है कमी रह गई तुममें कहीं

मुस्कुराती हो तुम जब वो शोर कुछ गुमशुम सा बैठने लगता है, 

और सुकून आँखों से बहने लगता है।। 

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बहुत कहानी है किताबों में तेरी, 

हर लम्हा पलटता कुछ ऐसा है, 

गूंज उसमें छिपे अहसास की होती है

अक्सर हलचल पूरी किताब में रहती है। 

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नहीं परवाह तुम्हें उन अल्फाज़ो की

जो न तुम्हारे थे, न है और न ही होंगे कभी... अच्छा है

तुमने उन्हें सुनना छोड़ दिया, 

जो कहते थे हर मोड़ पर तुम नहीं हो सही। 

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शायद कुछ समझते आज भी तुम्हें अलग, 

उन्हें बता दो जितना सोच सकते है वो... 

उससेे कहीं ज्यादा हो तुम अलग, 

थोड़ा स्वभिमान लेकर चलती हो

नज़रों में सदैव सम्मान लेकर चलती हो।

कोई पूछे या न पूछे खैरियत तुम्हारी, 

पर तुम सबकी खैरियत लेना जानती हो।।

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कभी बातें तुम्हारी नन्ही जान सी होती है, 

तो कभी किसी अनुभवी मेहमान सी । 

कभी थोड़े धैर्य की कमी महसूस सी होती है, तुममें

सुनकर अच्छा लगा कि...

पूरा करने का उस अधूरेपन को ठान लिया है ,तुमने

लगने लगा कि थोड़ी बड़ी हो गई तुम। 

फिर भी न जाने, "क्यों तुममें वो बचपन और जीना चाहता है?

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हर्ष बहुत है छोटी सी दुनिया में तेरे

बरकरार रहे यही उमीद है तेरी। 

उस जादूगर से जो छिपा है उन बादलों के पीछे, 

जिन्हें देखकर तुम अक्सर मुस्कान छिपा लिया करती हो। 

शाम को आने वाले वो मेहमान जो, 

आँखें उठाने पर ही दिखते हैं। 

उन्हें तुम हमेशा... न जाने क्यों शुक्रिया करती हो।।

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राहें नहीं है अलग तुम्हारी, 

अपने शब्दों के साथ चलना सीख रही हो। 

बातें नहीं है बेवजह तुम्हारी, 

तुम जानती हो... और ये काफी भी तो है..., 

यही वजह है कि उन्हें समझाने की आदत अब छोड़ रही हो।।

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खोया नहीं तुम्हें कभी न चाहूँगी खोना कभी, 

फिर भी तुम्हें पाने को चली हूंँ,

बात करने चली थी तुमसे। 

और अब तुममें ही ठहर सी गई हूंँ....।।


~𝙫𝙤𝙞𝙘𝙚 𝙤𝙛 𝙨𝙤𝙪𝙡

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